The courses offered by drama schools are heavily based on practical work; after all, their aim is to train students as professional actors for stage and camera work. Students are required to be enthusiastic and motivated in order to meet the demands offered by the course. At the beginning of the final year (usually the third), most drama schools stage a series of performances throughout the academic year to which agents and casting directors are invited. This helps to build the future of the graduates and serves as a showcase of what the students.
यह विधालय कला के विभिन्न विधओं का सै(ानितक तथा प्रायोगिक दोनों स्तरों का प्रशिक्षण छात्रा-छात्रााओं के लिए अनिवार्य मानता है। कला के परम्परागत स्वरूपों तथा वत्र्तमान में हो रहे नये प्रयोगों के सकारात्मक पक्षों को ग्रहण करने योग्य प्रशिक्षणार्थियों को तैयार करने में, विधालय अपनी अहम भूमिका के प्रति सचेत है। स्थानीय लोक कलाओं की विशिष्टता को महत्व देते हुए सांस्कृतिक गतिविधियों को संचालित करने तथा परिवेशगत सच्चार्इ से रू-ब-रू होते हुए नाटय, संगीत, नृत्य, पिफल्म व चित्राकला आदि के क्षेत्रा में अनुसंधन कार्य को ठोस व व्यावहारिक स्तर पर विकसित करने का लक्ष्य भी विधालय का है। भोजपुरी के शेक्सपीयर तथा महान जन-कलाकार भिखारी ठाकुर की गरिमा को दृषिट में रखते हुए ही यह विधालय अपने शैक्षणिक क्रियाकलापों को मूत्र्त रूप दे रहा है।